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आमजन को जल प्रबंधन की तकनीक का साझीदार बनाना चाहता है जलशक्ति मंत्रालय : शेखावत

– ग्रेटर नोएडा में 7वां इंडिया वॉटर वीक शुरू, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने किया शुभारंभ
– केंद्रीय जलशक्ति मंत्री बोले, वर्ष 2024 तक जल के क्षेत्र में 210 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा भारत

नई दिल्ली 1 नवंबर। जलवायु परिवर्तन से मानव जीवन पर आ रहे बुरे असर को कम करने में भारत वैश्विक रूप से अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है। इस उद्देश्य के साथ मंगलवार को ग्रेटर नोएडा में 7वें इंडिया वॉटर वीक का शुभारंभ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श करते हुए जलशक्ति मंत्रालय आमजन को जलप्रबंधन की तकनीक का साझीदार बनाना चाहता है। उन्होंने बताया कि जल संकट की प्रासंगिकता को समझते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2024 तक देश में जल के क्षेत्र में 210 बिलियन डॉलर का निवेश निश्चित किया है। भारत दुनिया में जल के क्षेत्र के सर्वाधिक निवेश करने वाला देश बन गया है।

शेखावत ने कहा कि जल संकट पूरे विश्व के लिए चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है। विशाल आबादी के कारण भारत के लिए तो यह और भी चुनौतीपूर्ण समस्या है। इसके समाधान के लिए पूरे विश्व को मिलकर प्रयास करना होगा। शेखावत ने कहा कि बढ़ती आबादी, बढ़ता शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन, बेमौसम सूखा और बाढ़ आदि चुनौतियों ने जल के संकट को वैश्विक संकट के रूप में परिवर्तित किया है। समय की मांग है कि इन चुनौतियां का समाधान हम एक साथ मिलकर खोजें।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने आंकड़ों के माध्यम से जल की महत्ता समझाते हुए कहा कि विश्व में कुल उपलब्ध जल में से 4 प्रतिशत ही पीने के पानी के लिए काम में लिया जा सकता है। इसमें भी भारत की चुनौती और भी बड़ी है, क्योंकि यहां विश्व की 18 प्रतिशत आबादी रहती है और पीने योग्य जल 4 प्रतिशत से भी कम है। देश में वर्षा का पैटर्न भी भिन्न-भिन्न है। बढ़ती आबादी भी पानी के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए समग्र समाधान के साथ काम करने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री जी ने दिया 5 पी का मंत्र
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि जल पर काम करने के लिए प्रधानमंत्री जी ने 5 पी यानी पॉलिटिकल विल, पब्लिक स्पेडिंग, पार्टनरशिप, पीपल्स पार्टिसिपेशन्स और परसुएशन का मंत्र दिया। इन पर भारत में काम शुरू हो चुका है, क्योंकि भारत में भूगर्भ जल पर निर्भरता ज्यादा है। यहां पेयजल की 85 प्रतिशत आपूर्ति भूगर्भ जल से होती है। इसलिए भूगर्भ जल का सरंक्षण और उसके संसाधनों का रख- रखाव हमारे लिए आवश्यक है। शेखावत ने कहा कि जल संरक्षण के महत्व को प्रधानमंत्री मोदी जी ने बहुत पहले ही समझ लिया था। मोदीजी ने प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभालते ही सभी ग्राम प्रधानों को उनकी भाषा में पत्र लिखकर उनसे जल सभा आयोजित करने का आह्वान और जलशक्ति अभियान प्रारंभ किया। जल से जुड़े सभी विभागों को एक मंत्रालय के नीचे कर वर्ष 2019 में जलशक्ति मंत्रालय बनाया। मोदी सरकार ने कृषि सिंचाई परियोजनाएं भी प्रारंभ की। इसके पीछे दर्शन हर खेत को पानी मिले का है। नई जल संरचनाएं बनाई जा रही हैं। बांधों का पुनिर्विकास किया जा रहा है। इस अभियान का प्रथम चरण पूरा कर लिया गया है। अभियान के दूसरे चरण में 700 से अधिक बांधों पर काम किया जा रहा है।

7 राज्यों में अटल भूजल योजना शुरू की
शेखावत ने कहा कि भूगर्भ जल के संरक्षण के लिए सरकार ने अटल भूजल योजना शुरू की है। इसमें सात राज्यों के 81 जिलों में काम शुरू कर दिया गया है। यहां जल जागरूक समुदायों का गठन किया गया है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदीजी ने देश को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को हमने वर्ष 2019 में ही पूरा कर लिया, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने हमें वर्ष 2026 की समय-सीमा दी थी। पानी और स्वच्छता के विषय में भारत द्वारा किए गए कार्यों को संयुक्त राष्ट्र और अन्य प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्थाओं ने भी सराहा है।

समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और बिशवेश्वर टुडु भी उपस्थित थे।

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